गांधी की हत्या से पहले क्या कर रहे थे गोडसे और आप्टे
दिल्ली के कनॉट प्लेस के मरीना होटल के ठीक आगे स्थित मस्जिद में मग़रिब की नमाज़ शुरू होने वाली है. रमज़ान का महीना है. उसके बाद रोज़ा खोला जाएगा. मरीना होटल के एक कमरे से एक शख़्स मस्जिद की हलचल को देख रहा है. मालूम नहीं कि उस शख़्स को पता है या नहीं कि 17 जनवरी, 1948 को ज ब दिल्ली में कड़ाके का जाड़ा पड़ रहा था, तब इसी होटल में, जिसे अब रेडि सन ब्लू मरीना होटल कहा जाता है, नाथूराम गोड से और नारायण आप्टे आए. वक़्त सुबह 11 बजे से पहले का था. दोनों ने एस देशपांडे और एसएन देशपांडे नामों से कमरा बुक करवाया. उस दौर में आज की तरह किसी होटल में रूम बुक करवाते वक़्त आधार कार्ड या कोई और पहचान पत्र नहीं दिखाना पड़ता था. ये दोनों मित्र 15-20 मिनट में पहुंच गए होंगे काली-पीली टैक्सी से कनॉट प्लेस. ये होटल जाते वक़्त अलबुकर्क रोड (अब तीस जनवरी मार्ग) से गुज़रे होंगे. उस दिन यहां के बिड़ला हाउस में 79 साल के महात्मा गांधी का उपवास चल रहा होगा. इन्होंने देखा होगा कि बिड़ला हाउस की तरफ़ हज़ारों दिल्ली वाले बापू से अपना उपवास समाप्त कराने के लिए पहुंच रहे हैं. दरअसल आ प्टे और गोडसे दि...